Sunday, 1 January 2012

जीवन अमुल्य है|

कुछ दिन पहले आई.आई.टी. कानपुर की छात्रा तोया चटर्जी ने आत्महत्या कर् ली। पता चला कि वह् एकाध विषय में फ़ेल थी। उसका कई आई.आई.एम. में चयन हो गया था लेकिन अपने यहां कुछ विषय में वह फ़ेल थी। अवसाद को सहनन कर पाने के कारण वह पंखे से लटक गयी और इस जालिम दुनिया से दूर सटक गयी।
आई.आई.टी. कानपुर में लगभग हरसाल इस तरह का एकाध वाकया होता है। कोई बच्चा चुपचाप अपने से कई हजार गुना ज्यादावजनी ट्रेन के नीचे लेट जाताहै। ट्रेन उसके ऊपर से गुजर जाती है। कोई लड़का छत से कूदजाता है न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम को सत्यसिद्ध् करते हुये नीचे गिरता है और फिर उससे भी बड़ेनियम को सत्यसिद्ध करते हुये ऊपर चला जाता है।
इस तरह की घटनायें बहुत् आम हो गयी हैं। कोई भी असफ़लता मिली। तड़ से टूटे , भड़ से लटकलिये और सड़ से निपट गये। स्कूलों में फ़ेल हुये बच्चे,प्रेम में असफ़ल बच्चे, कर्ज में डूबे लोग , तनाव में डूबे प्राणी अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं। तमाम मां-बाप तो आजकल बच्चों को डांटते-डपडते हुये भी डरते हैं। बच्चा कहीं कुछ कर न ले।
हमारे एक रिश्तेदार का बच्चा था। अठारह-बीस का। हंसमुख, खूबसूरत। किसी प्रेम में पड़ गया। न जाने क्यों उसको लगा कि उसका प्रेम सफ़ल न होगा। अगले ने सल्फ़ाल की गोलियां खा लीं। ‘ हाय मुझे बचा लो, बचा लो’ कहते हुये देखते-देखते निपटगया। मां-बाप आज भी उसको यादकरते हुये रोते हैं। आज सफ़लता का भूत इत्ता विकट हो चला गया है कि कोई असफ़ल नहीं होना चाहता। एक असफ़लता लोगों को इस कदर तोड़ देती हैकि लोग अपना सामान बांध के चल देते हैं।
आत्महत्या का कोई गणित नहीं होता। तनाव , अकेलेपन और कोईरास्ता न समझ में आने पर लोगइसे अपनाते होंगे। आज सफ़लता का भूत इत्ता विकट हो चला गया है कि कोई असफ़ल नहीं होना चाहता। एक असफ़लता लोगों को इस कदर तोड़ देती हैकि लोग अपना सामान बांध के चल देते हैं।
हेमिन्वे ने ओल्ड मैन एंड द सी जैसा दुर्दमनीय आशा का उपन्यास लिखा लेकिन उसने न जाने किस तनाव में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे।दुनिया को राह दिखाते थे। रामराज्य की स्थापना की। उन्होंने सरयू में जलसमाधि ले ली। कौन से ऐसे तनाव रहे होंगे जिसके चलते मर्यादा पुरुषोत्तम ने आत्महत्या करली?
अंकुर बता रहे थे एक दिन कि आई.आई.टी. कानपुर में कुछ दिनपहले आत्महत्या की थी वह खुदबड़ा हौसलेबाज था। कई दोस्तों को अवसाद में जब देखा तब उनके साथ रहा। उनको जीने का हौसला बंधाया। अवसाद के क्षणों से उबारा। बाद में किसी के प्रेम में असफ़ल होने के कारण योजना बनाके अपनी जीवन लीला समाप्त करली। लोग दिन पर दिन अकेले होते जा रहे हैं। विकट तनाव से जूझने वाले के निकट कोई नहींहोता।
बड़ा जटिल मनोविज्ञान है इस लफ़ड़े का। लेकिन मुझे जो लगताहै वह यह कि लोग दिन पर दिन अकेले होते जा रहे हैं। विकटतनाव से जूझने वाले के निकट कोई नहीं होता। ऐसे संबंध कमहोते जा रहे हैं जब इस तरह की बात करने वाले से कोई कहे- मारेंगे एक कन्टाप सारी हीरोगीरी हवा हो जायेगी।
तमाम लोग देखा-देखी आत्म हत्या करते हैं। ट्रेंड बन जाता है। अलग-अलग जगह के अलग-अलग ट्रेंड। लोग नेताओंके लिये आत्महत्या कर लेते हैं, नौकरी के लिये मर गये, कर्जे में निपट गये और प्रेममें असफ़ल होने पर मरना और अबफ़ेल होने पर मरने का ट्रेंड चला है।
लोग दूसरे की व्यक्तिगत जिंदगी में दखल देते हुये हिचकते हैं। किसी के पर्सनल मामले में दखल देना अच्छी बात नहीं है। यह बात बहाने के तौर पर लोग इस्तेमाल करतेहैं। लोग खुद इत्ते तनाव मेंहैं कि दूसरे के फ़टे में अपनी टांग फ़ंसाते हुये डरते हैं।
आत्महत्या करने वाले ज्यादातर वे लोग होते हैं जोअपने व्यक्तिगत जीवन के लक्ष्य पाने में असफ़ल रहते हैं। इम्तहान में फ़ेल हुये, प्रेम विफ़ल हो गया, नौकरी न मिली। अवसाद को पचा न पाये। जीवन को समाप्त कर लिया।
सामूहिक लक्ष्य में असफ़लता के चलते लोगों को आत्महत्या करने के किस्से नहीं सुनने को मिलते हैं। यह नहीं सुनाईदेता कि क्रांति असफ़ल हो गयीतो नेता ने आत्महत्या कर ली,मार्च विफ़ल हो गया तो लीडर ने अपने को गोली मार ली, शिक्षा का उद्देश्य पूरा न हुआ तो बच्चों की शिक्षा के लिये दिन रात कोशिश करने वाला बेचैन शिक्षाशास्त्री लटक लिया। सामूहिकता का एहसास लोगों में आस्था और विश्वास पैदा करता है।

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